अमर क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस- सुरेश कुमार गौरव

चमक उठा जो नभ में बनकर एक सितारा,
गुलामी के अंधेरों में जो बना एक ध्रुवतारा।
सुभाष तुमने किया था देश हित में काम बड़ा,
युगों-युगों तक भारत देश हित में सदा अड़ा।

“दिल्ली चलो” की हुंकार बनी थी वाणी,
हर दिल में तुमने जगाई एक नई कहानी।
आँधी-तूफानों को तुमने साथी बना लिया,
दुश्मनों के सीने में भी डर बसा दिया।

रगों में जोश, आँखों में क्रांति का ज्वार,
सुभाष तुम्हारे कदमों से काँप उठा संसार।
“आजाद हिंद फौज” का तुमने दिया जयघोष,
हर भारतीय के दिल में उठा गर्व का जोश।

तुमने ललकारा था, “मुझे खून दो आजादी दूँगा”
तो देश ने हुंकार भरी था, आजादी लेकर रहूँगा।
हर गली-चौराहे पर तब जल उठी क्रांति मशाल,
तुम्हारी क्रांति गाथा बनी जन-जन का सवाल।

हिमालय भी झुका, समंदर ने रास्ता दिया,
तुम्हारे हौसले ने जैसे पूरा आसमां पीया।
तुम थे वो ओज सूरज, जो कभी डूबा नहीं,
तुम्हारी गाथा अमर है, युग-युग भूला नहीं।

भारत माँ का सपूत, सुभाष तेरा नाम,
तुझसे है रोशन देश का हर एक धाम।
तुमने आजादी की जो लिखी थी पटकथा,
चमका था भारत का जोश पूर्ण क्रांति कथा।

हे वीर सुभाष! तुझे नमन है बारंबार,
तुम हो स्वतंत्रता का सजीव उपहार।
तेरे सपनों को साकार करें हम आज,
याद है अमर गाथा, गाएँ लिए हर साज।

सुरेश कुमार गौरव
उ. म. वि. रसलपुर,फतुहा,पटना (बिहार)

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