एक योगी !
मानव को है जगाता,
चेतना को है उठाता,
विश्व के रण में उतरता,
एक योगी !
एक योगी !
उस शिकागो को बुलाता,
भ्रातृत्व का संदेश देता,
विश्व को नई रोशनी से,
जगमगाता।
एक योगी !
एक योगी !
इस सनातन को
सहज ही गुनगुनाता,
वेदान्त के मर्म को,
दूर देशों को दिखाता,
एक योगी !
एक योगी,
नर और नारायण को,
संग बुलाता,
धर्म की पगडंडियों को,
धर्म का है पथ बताता !
एक योगी !
एक योगी !
राष्ट्र की इस चेतना को,
है जगाता !
विश्वगुरु इस देश को,
फिर से बताता !
एक योगी !
एक योगी !
देश के नव यौवनों को,
है पुकारे,
आ ! यह देश है नवसृजन को,
तुमको पुकारे।
एक योगी !
डॉ स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार
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