कोयल
कोयल भोली भाली है,
बोली बहुत निराली है।
श्याम सलोनी प्यारी है,
धुन तेरी मतवाली है।
तेरी बोली सुनने को,
मन अधीर हो जाता है।
नही सुनूँ जो तुमको तो,
लगता खाली खाली है।
श्रव्य दृश्य के अंतर को
खूब तो तुम समझाती हो।
बोली से दिल में उतरी,
सबको बहुत रिझाती हो।
कौवा भी को काला लेकिन,
बोली बहुत डराता है।
तू कोयल मन मीत हुई,
बोली मुझे सिखलाती है।
जीवन के अनुपम सूत्र को,
कोयल तुम बतलाती है।
सुंदर बोली ही वो धन है,
जीवन सफल बनाती है।
स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार
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