पुस्तकें प्रेरणा वान,
ज्ञान का है वरदान,
सच्चा मीत मानकर,
आत्मसात कीजिए।
प्रतिदिन खोलकर,
पाठ करें बोलकर,
शारदे का अद्भुत ये,
वरदान लीजिए।
नये नये शब्द पढ़,
सुंदर विचार गढ़,
शब्द-शब्द आनंद के,
अमृत को पीजिए।
नैतिक वचन भर,
मौलिक सृजन कर,
अविकारी मन भर,
अनुदान दीजिए।
देवकांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार
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