प्रार्थना – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

हंसवाहिनी, ज्ञानदायिनी
करें धवल शुचि मन-अभिराम।
आए हैं हम शरण तुम्हारी,
विनय करें शुभदे निष्काम।।

हाथ जोड़ माँ द्वार खड़े हैं
जप-तप पूजन से अंजान।
करें साधना मातु शारदे!
कर न सकें तव कृपा बखान।।
दया दृष्टि ऐसी कर दें माँ!
वंदन करें सवेरे-शाम।।
हंसवाहिनी ———–।

वेदों की जननी हो माते!
महिमा जग में अपरंपार।
हे विद्या-वारिधि जीवन में,
करें ज्ञान रूपी उजियार।।
कलुष भेद तम दूर करें माँ
लाकर ज्योति नवल सुखधाम।
हंसवाहिनी ————।

करुणा की रसधार बहाकर
भरें स्वरों का नित भंडार।
हर बाला हो मूर्ति ज्ञान की,
हो बालक में बुद्धि अपार।।
मातु यही है विनय हमारी,
जग में हो भारत का नाम।
हंसवाहिनी ————।

देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
मध्य विद्यालय धवलपुरा,सुलतानगंज,भागलपुर,बिहार

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