महासागर
आओ बच्चों तुम्हें बताएँ।
बात पुरानी याद दिलाएँ।।
सात समंदर कहती नानी।
दूर देश की कथा सुहानी।।
आओ जाने हम सच्चाई।
नानी कहती यह क्यों भाई।।
जल का विशाल भंडार यहाँ।
जल हीं जल चारों ओर जहाँ।।
उसे महासागर हैं कहते।
पादप जंतु सभी हैं बसते।।
अब इसे हम पाँच हीं जाने।
जग सारा जिसको पहचानें।।
प्रशांत को विशालतम जानें।
लघुतम रूप आर्कटिक मानें।।
अटलांटिक, हिंद सभी जानें।
दक्षिण महासागर बखानें।।
प्रशांत अटलांटिक दो गिनते।
उत्तर दक्षिण में जब चुनते।।
इनकी संख्या सात बताते।
वही कहावत सच हो जाते।।
पर्यावरण का पोषण करना।
जन-जीवन का इससे चलना।।
हमें बनाएँ जो है रखता।
उसे बनाएँ रखना पड़ता।।
दोहन से है इसे बचाना।
चाहो सदा अगर मुस्काना।।
इससे धरती नीली लगती।
नानी ऐसी भी है कहती।।
जल से हीं जीवन है होता।
जो समझा वह कभी न रोता।।
बातें कुछ और बताएगी।
कल फिर कहानी सुनाएगी।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978