माँ का प्यार – लावणी छंद
माँ का प्यार दुलार जगत में, बड़ा अनमोल होता है।
माँ के चरणों में पड़ते तो, सुरपुर लगता छोटा है।।
जग के पालक भी आए थे, माता की ममता पाने।
माँ की महिमा को गाते जो, वेद शास्त्र हम-सब जाने।।
सात समुद्र की मसि बनाकर, लिखने की कोशिश करना।
लगता मुश्किल है जैसे हीं, सूखे में नौका चलना।।
जिसका वर्णन कर पाने में, शारदा भी लाचार है।
उसका वर्णन कैसे होगा, पाठक करता विचार है।।
माँ ममता का रूप सदा हीं, जो सृष्टि का आधार है।
जिसके कदमों में जन्नत है, आंचल सदा संसार है।।
दिवस विशेष और शब्दों से, माँ की क्या गुणगान करें।
कुछ भी कह लो कम हीं होगा, अर्पण तन-मन प्यार करे।।
माँ की ईच्छा खुशी हमारी, रखिए इसका मान सभी।
माँ के चेहरे से एक पल, मिटे नहीं मुस्कान कभी।।
हम भी खुश, माँ भी खुश हरपल, यही माँ का सम्मान है।
इतना सा जो पुण्य कमा ले, वह देवों से महान है।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978