माता का सम्मान हमेशा
कन्याओं को जब रहने दोगे ,
तभी तो माँ बन पाएगी ।
उदर में ही खत्म करने पर तुले अगर हो
तो फिर कैसे माता का फर्ज निभाएगी !
एक स्त्री का माता बनना ,
उसका नैसर्गिक अधिकार है ।
इसके सिवा यदि सब कुछ हो
तो भी उसका प्रतिकार है ।
माँ के आँचल में जो सुख मिलता ,
उसे कहाँ से ढूँढ के लाओगे ?
यदि लिंग भेद की कुदृष्टि बनी रही
तो कभी चैन नहीं तुम पाओगे ।
माता का स्थान हमेशा
स्वर्ग से भी ऊपर है ।
इस बात का सदैव ध्यान रखो ,
नहीं तो सारी दुनिया ही ऊसर है ।
दिल न दुखाना कभी माता का ,
वह देवी माँ की सूरत हैं ।
क्रोध न कभी उनपर करना ,
साक्षात् लक्ष्मी की ही मूरत हैं ।
आशीर्वाद लेते रहना सदा माता का
तभी तो तुम कुछ बन पाओगे ।
असली तरक्की तुम्हारी तभी बनेगी ,
जब उन्हें पल- पल सम्मान दिलाओगे ।
मातृ दिवस तो केवल संकेतक ,
हमें आजीवन ऋणी रहना है ।
यदि कुछ भी कह दें बात कभी
तो सब कुछ धैर्यपूर्वक ही सहना है ।
ख्याल करो उनके सुख दुःख का
और माता का सदा ध्यान धरो।
इस जग में तुम्हारे जीवन दात्री,
हरदम उनका सम्मान करो ।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला प्रशासन