कर्मों का लेख-कुमकुम कुमारी

कर्मो का लेख

खता तो हमने
बहुत बड़ी की है
तभी तो कुदरत ने
इतनी बड़ी सजा हमें दी है
कोरोना तो मात्र
एक बहाना है,
भटके हुए इंसान को
सबक जो सिखाना है।
उसे उसकी हदें
याद दिलाना है
भूल का एहसास भी
तो उसे कराना है।
विधाता ने जब
विश्व रचाया था
सब जीवों में
श्रेष्ठ हमें बनाया था
विद्या, बुद्धि और विवेक देकर
हमें सजाया था
भूलोक का संरक्षक
हमें बनाया था
पर अपनी मर्यादाओं
को भूल गए हैं हम
मोह माया के गर्त में
गहरे डूब गए हैं हम ।
स्वार्थ साधना की आँधी ने
इस कदर जकड़ा है हमको
खुद से ही अपनो का
नाता भूल गए हैं हम।
सजा तो हमको मिलनी ही थी
क्योंकि इंसानियत से नाता
तोड़ गए हैं हम।
लोभ, मद, मोह ने इस
कदर घेरा है हमको
कि मानव होकर भी
मानवता को पीछे
छोड़ गए हैं हम।
आधुनिकता के नाम पे
संस्कारिता का बलि चढाया है हमने
तभी तो अपने कर्मों का फल
कोरोना के रूप में पाया है हमने
यह सच है कि कोरोना
तो एक दिन चला जाएगा
लेकिन अब भी न सम्भले तो
इससे भी बड़ा आफत आएगा।
अपराध तो हमनें
जघन्य किया है
तभी तो विधाता ने हमें
हमारे घर में ही कैद किया है।

इसलिए हे पंचतत्व के अधिनायक!
अब जाग जरा
मानवीय मूल्यों को पहचान जरा,
स्वतंत्रता के नाम पे
उच्छृखंलता को छोड़ जरा
रचनात्मक से खुद का
नाता जोड़ जरा।

कुमकुम कुमारी
मध्य विद्यालय बाँक
जमालपुर, मुंगेर

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