हाँ गर्व है मुझे-रानी कुमारी

हाँ गर्व है मुझे

गर्व है यहाँ के मौसम पर
पछुआ-पुरवाई हवाओं पर
पर्वत-पहाड़ों, मरुभूमि-मैदानों पर
नदी, तालाब, सागर व झीलों पर।

गर्व है घाटी के केसर
और रेशमी धागों पर
खुशबू वाली गरम मसालों पर
खेत-खलिहानों और
खनिज-खदानों पर।

गर्व है हमारे संस्कारों पर
अतिथि सत्कारों पर
बड़े-बुजुर्गों के किस्से-कहानी
और अम्मा की लोरियों पर।

गर्व है गाँव के मेलों पर
रंग-रगीले त्योहारों पर
जम-जम जल पीते दीपू पर
देवघर का प्रसाद खाते अनवर पर।

गर्व है ज्ञान-विज्ञान और
अंतरिक्ष अभियानों पर
खेल-जगत में परचम लहराते
भारत माँ के संतानों पर।

गर्व है लता दीदी
कल्पना, ऊषा, हिमा, सिंधु
सायना जैसी बेटियों पर
भेज बेटे-पति को सीमा पर
घर पर मोर्चा थामे माँ-बहनों पर।

गर्व है थल, जल, नभ
सेना के वीर-जवानों पर
विशाल लोकतंत्र, संसद
और संविधान के प्रावधानों पर।

गर्व है विविध जाति-धर्म
भाषा- बोली, रीति-रिवाज, परंपरा
पहनावा और खान-पान पर
“अनेकता में एकता” की पहचान पर।

गर्व है गौरवमयी इतिहास पर
वीरों के बलिदानों पर
गीता, वेद-पुराणों में संचित
ॠषि-मुनियों के ज्ञानों पर।

हाँ गर्व है मुझे अपने
भारतीय होने पर!

रानी कुमारी   प्रा० वि० काली स्थान गंगेली के० नगर पूर्णियाँ

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