भारत की बेटी-कुमकुम कुमारी

भारत की बेटी

मैं भारत की बेटी हूँ,
यह सोच मैं इतराती हूँ।
भारत की बेटी होने पर मैं,
फूली नहीं समाती हूँ।
एक ही जन्म में मैं,
कई जन्मों को सफल कर जाती हूँ।
मैं भारत की बेटी हूँ,
यह सोच मैं इतराती हूँ।

उस धरा पर मैंने जन्म लिया,
जहाँ देवों ने अवतार लिया।
आसुरी प्रवृति का मर्दन कर,
विश्व को अमृत कलश दिया।
जहाँ के मिट्टी का कण-कण,
स्वर्ण के समान है।
ऐसे भारत की बेटी होने पर,
हमको तो अभिमान है।

मैं उस भारत की बेटी हूँ,
जिसकी माटी में सीता ने लिया अवतार है,
एक घास के तिनके से,
रावण का तोड़ा अहंकार है।
अपनी सतित्व की रक्षा के लिए,
जहाँ की नारी शेर पर सवार है।
दुराचारियों का दर्प दलन करने,
कालिका रूप में लिया अवतार है।

मैं उस भारत की बेटी हूँ,
जिसकी माटी में वीणा की मधुर झंकार है।
और कण-कण में अन्नपूर्णा का आगार है।
जहाँ की बेटी अनुसुइया बन,
त्रिदेवों को गोद खेलाया है।
जिसकी माटी की खुशबू में,
चंदन का महक समाया है।
ऐसे भारत की बेटी होने पे,
मेरा रोम-रोम हरसाया है।

मैं उस भारत की बेटी हूँ,
जहाँ मीरा ने प्रीत के गीत को सुनाया है।
अंग्रेजों के दाँत खट्टे करने को,
लक्ष्मीबाई ने तलवार उठाया है।
जन-जन की प्यास बुझाने को,
जहाँ गंगा ने निर्मल धारा बहाया है।
मैं भारत की बेटी हूँ,
यह सौभाग्य हमारा है।

कुमकुम कुमारी
शिक्षिका
मध्य विद्यालय, बाँक
मुंगेर, बिहार

Leave a Reply