चिड़ियाँ रानी-प्रीति कुमारी

चिड़ियाँ रानी

ची-ची करती आई चिडियाँ,
दाना चुन चुन लाई चिडियाँ ।
कभी थिरकती कभी मटकती
आसमान में वो उड़ जाती
डाल डाल और पात पात पर
चिडियाँ रानी फुदक-फुदक कर
सबके मन को है हर लेती। 
रंग बिरंगी आई चिडियाँ
सब के मन को भाई चिड़ियाँ
सुबह सुबह जब आँखें खोलूं
जी चाहे तुझको ही देखूँ
तेरे मीठे बोलों की अब
आदत सी ही हो गई है
अगर कभी तुम रूठ गई तो
हम सब भी यूँ खो जाते हैं
करती हो जब तुम आँगन में
नृत्य अनोखा ताता थैया
मन्त्र मुग्ध हम हो जाते हैं
तुमको पाकर हे गौरैया। 
तरुवर की डालों पर जब तुम
फुदक-फुदक कर हो इतराती
तेरे प्यारे गाने सुनकर
मन मन्दिर में घन्टी बजती
रोज सवेरे जल्दी उठकर
हमसे मिलने तुम आ जाती
सुबह सुबह जब आँखे खोलूं
खिल जाती हैं सारी कलियाँ
सुन्दर सुन्दर पंखों वाली
सब के मन को भाई चिड़ियाँ।

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ

विद्यापति नगर समस्तीपुर

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