बिहार की गौरवगाथा-कुमकुम कुमारी

बिहार की गौरवगाथा

गुणगान करूँ, सम्मान करूँ
नित-नित झुक मैं प्रणाम करूँ।
बिहार की गौरवशाली गाथा का,
सुनो, आज मैं बखान करूँ।
गुणगान करूँ……………….

पतित पावनी गंगा ने यहाँ,
निर्मल धारा बहाया है।
यहाँ की माटी के कण में,
सीता ने दरस दिखाया है।
इतनी पावन माटी इसकी,
ऋषियों ने यहाँ तपोवन बनाया है।
रघुवर भी आकर यहाँ से,
सम्पूर्ण शिक्षा को पाया है।
इतना पावन प्रदेश हमारा,
इसका सदा गौरवगान करूँ।
गुणगान करूँ……………….

अपना प्यारा प्रदेश ने ही,
विश्व को प्रथम गणराज्य दिया।
महावीर और गौतम के रूप में,
जीवन का राह प्रशस्त किया।
इसकी माटी में पल कर,
आर्यभट्ट ने नूतन अनुसंधान किया।
और सुश्रुत ने अपनी विधा से,
चिकित्सा में ऊँचा नाम किया।
इतना पावन प्रदेश हमारा,
इसका सदा गौरवगान करूँ।
गुणगान करूँ…………………

अपनी तीक्ष्ण बुद्धिमत्ता का,
चाणक्य ने लोहा मनवाया है।
राजनीति का पाठ पढ़ाकर,
भारत को समृद्ध बनाया है।
बिहार की पावन धरती ने ही,
भारत को चक्रवर्ती सम्राट दिया।
और नालंदा विश्वविद्यालय के रूप में,
विश्व को अलौकिक ज्ञान दिया
इतना पावन प्रदेश हमारा,
इसका सदा ही गौरवगान करूँ।
गुणगान करूँ………………….

धर्म की रक्षा के खातिर गोविंद सिंह
ने अपने पुत्रों का बलि चढ़ाया है।
मंडन मिश्र और देवी भारती ने
शास्त्रतार्थ में शंकराचार्य को भी हराया है।
भारत की आजादी में भी
बिहार के अनेकों लाल ने,
अपना रक्त बहाया है और
अंग्रेजों को नाको चने चबाया है।
इतना पावन प्रदेश हमारा,
इसका सदा गौरवगान करूँ।
गुणगान करूँ………………..

एक से बढ़कर एक लाल ने
लिया यहाँ अवतार है ।
अपने कर्मों से जिसने,
हर क्षेत्र में किया कमाल है।
इतना गौरवशाली इतिहास हमारा,
मैं कैसे इसका गुणगान करूँ,
शब्द छोटे पड़ जाते हैं और
मस्तक इनके चरणों में झुक जाते हैं।
ऐसा सुंदर प्रदेश हमारा,
इसका सदा गौरवगान करूँ।
गुणगान करूँ……………….

कुमकुम कुमारी
मध्य विद्यालय, बाँक
जमालपुर, मुंगेर

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