पाक नसीहत प्रभात रमण

पाक नसीहत

भारत ने तुमको जन्मा है
ये देश तुम्हारी माता है
इसको तो कोई कष्ट नही
फिर तुम्हे क्यों नही भाता है ?
अपनी माँ से अलग होकर
कैसे तू रह पाता है ?
अपना परिवार बना डाला
अपनी सभ्यता भूलकर
नया संस्कार बना डाला
पहले तो थे हिंदुस्तानी
अब हो गए तुम पाकिस्तानी
कुछ तो माता का मान बचा लेते
क्यों दिखला रहे अपनी कारिस्तानी ?
जिसकी आँख नही खुलती
उससे आँख लड़ा बैठे
जिसने दिया था जन्म तुम्हें
उसी को आँख दिखा बैठे
क्यों अपना सुख चैन गँवा बैठे ?
क्यों अपना सम्मान लुटा बैठे ?
माता का आँचल छोड़कर
क्यों दूसरी गोद में जा बैठे ?
क्यों धर्म को गन्दा कर रहे ?
क्यों आतंक की भाषा पढ़ रहे ?
क्यों आतंकवादी पाल रहे ?
उमर तो तेरी ढल रही
फिर क्यों अब तक कंगाल रहे ?
युद्ध छोड़ो मत पाप करो
अपनी माँ के लिए न गन्दी बात करो
माता का पैर पकड़ लो तुम
और बोलो माता माफ करो
अब भी वक्त नहीं गुजरा
अपने भूल को जानो तुम
सब कुछ सहन हम कर लेंगे
भारत को माता मानो तुम
समय बदलता है करवट
सी देता है सारी सिलवट
मन को अपने तुम शुद्ध करो
अपने जीवन में बुद्ध धरो
ऊपर बैठे पालक से डरो
अब तो इंसानी रूप धरो
कुत्ते की मौत तो न मरो !
कहीं ऐसा ना हो की
समझौते की बात ना हो
नक्शा तो हो दुनियाँ का
पर, उसमें कहीं भी पाक ना हो ।।

प्रभात रमण
मध्य विद्यालय किरकिचिया
 फारबिसगंज अररिया

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