भारतीय किसान देखो ये हैं भारतीय किसान, जो करते खेतों में दिन भर काम, नहीं कभी भी है इन्हें आराम, देश का करे ये रौशन नाम, इनकी है एक अलग…
किसानों के कार्य-प्रमोद कुमार
किसानों के कार्य किसानों का कार्य भी समझ में आएगा, एक बार फसल उगाकर तो देखो। कभी तप्ती गर्मी के धूप में तो कभी ठंड भरी शीतलहर के जाड़े में,…
सृष्टि रानी-प्रकाश प्रभात
सृष्टि रानी सृष्टि रानी बहुत छोटी है, पढ़ने को स्कूल जाती है। सृष्टि रानी बड़ी सयानी, बच्ची कम लगती है नानी। बिना नाम लिखाए भी, होमवर्क तैयार करती है। तनिक…
संकल्प-प्रियंका कुमारी
संकल्प आज विद्यालय, मन में संकल्प लेकर जाएँगे मिलकर सभी शिक्षा को पूरी तरह से फैलाएँगे आशा की इस दीपक को मिलकर सभी जलाएँगे हर कोने-कोने में शिक्षा की नई…
मन की अभिलाषा-नरेश कुमार निराला
मन की अभिलाषा हिन्दुस्तान का कलमकार हूँ लिखने की जिज्ञासा है, भारत फिर से बने विश्व गुरू मन में यह अभिलाषा है। पूरब-पश्चिम उत्तर-दक्षिण चारों ओर खुशहाली हो, बाग-बगीचा वन-उपवन…
वीर सपूत-नूतन कुमारी
वीर सपूत अब उठो देश के वीर सपूतों, जग में कुछ ऐसा काम करो, चहुँ ओर फैले ख्याति तुम्हारी, उठो! न तुम आराम करो। कर्म से पहले फल नहीं मिलता,…
परिवार की छाँव-प्रियंका प्रिया
परिवार की छाँव जिस तरह वृक्ष को जड़ जोड़ कर रखता है उसी तरह परिवार रिश्तों को बेजोड़ रखता है। जिस तरह धूप में ढूंढ़े फिरे ठाँव, उसी तरह जरुरी…
प्रकृति-मधु कुमारी
प्रकृति प्रकृति ने सजाया अद्भुत मेला लगे धरती भी जिससे अलबेला दिखे अम्बर कभी लाल, नीला तो कभी पीला। अजब गजब हैं करतब रचाते जादूगर हो जैसे खेल दिखाते सूरज,…
रिश्तों का मेला-मनु कुमारी
रिश्तों का मेला सबसे सुंदर, सबसे मनहर, होता यह रिश्तों का मेला, मिल-जुलकर सब हँसते-गाते, प्यार बाँटते जश्न मनाते, कोई न रहता यहाँ अकेला। रिश्तों का यह अनुपम मेला… समाज…
जीवन-मनोज कुमार दुबे
जीवन जीवन इतना सरल नहीं मै तो दुनियाँ के हर सवाल से डरता हूँ ! दुश्मनों के चाल दोस्तों के बवाल और अपनों के भीतरघात से डरता हूँ ! न…