प्रकृति बासंती रंग में रंगाई-अपराजिता कुमारी

प्रकृति बासंती रंग में रंगाई शीत शरद की हो रही विदाई धरती मानो ले रही अंगड़ाई ऋतुराज की हो रही अगुवाई प्रकृति बासंती रंग में रंगाई।  गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा…

सुबह की रोटी-विनय कुमार “ओज”

सुबह की रोटी आधुनिकता के चक्कर में भईया रोटी बासी भूल गये, सुबह का नाश्ता, मैगी-बिस्किट खाकर ख़ुद को कूल कहे। चीनी, जलेबी, गुड़, पेड़ा, घी संग बासी रोटी भाता…

शब्दों का ज्ञान-शालिनी कुमारी

शब्दों का ज्ञान आओ बच्चों खेल-खेल में सीखे कुछ शब्दों का ज्ञान.. “Mother” शब्द का अर्थ हैं “माता” जो तुम्हें दुलारे प्राणों से ज्यादा.. “Father” का अर्थ होता हैं “पिता”…

दिशा धुन-डॉ. स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

दिशा धुन प्यारे बच्चों सुन सुन सुन, दिशा की प्यारी सी इक धुन। सूरज जिधर से सुबह उगे, कहते उसको पूरब सुन। प्यारे बच्चों सुन सुन सुन.. देखो सुबह में…

चिड़ियाँ रानी-प्रीति कुमारी

चिड़ियाँ रानी ची-ची करती आई चिडियाँ, दाना चुन चुन लाई चिडियाँ । कभी थिरकती कभी मटकती आसमान में वो उड़ जाती डाल डाल और पात पात पर चिडियाँ रानी फुदक-फुदक…

जिम्मेदारी-रीना कुमारी

जिम्मेदारी आओं बच्चों तुम्हें बताएं क्या होती है जिम्मेदारी।  हर रास्ते और हर कदम पे होती इससे यारी। आओ बच्चों ——— बचपन में जब हम नहीं समझते कुछ भी दुनियादारी,…

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