हुए स्वार्थी और लोभी आज के मानव समझ नही ये बन बैठे है दानव काम ,क्रोध,मोह ,लोभ के पाश में नित बंधते ये मानव क्षणिक स्वार्थ के पूरन में भी…
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इंसान बनके दिखलाओ-अवनीश कुमार
इंसान बनके दिखलाओ हुए स्वार्थी और लोभी आज के मानव समझ नहीं ये बन बैठे हैैं कैसे महामानव काम, क्रोध, मोह, लोभ के पाश में नित बंधते ये मानव क्षणिक…
माँ शारदे-अवनीश कुमार
माँ शारदे माँ शारदे हम करे तेरी वंदना दया करना हम करे तेरी आराधना। विद्या की तू है अधिष्ठात्री करे तेरी वंदना दिवा व रात्रि। शुद्धता का प्रतीक है तेरी…
मैं हूँ कितना भाग्यवान-अवनीश कुमार
मैं हूँ कितना भाग्यवान मैं हूँ कितना भाग्यवान जिसे मिला इतना सम्मान पढ़-लिखकर नाम रोशन किया माँ-बाप का नाम उजगार किया धैर्य साहस है सफलता की कुंजी यही है जीवन…
विद्यालयस्य गीतं-अवनीश कुमार
विद्यालयस्य गीतं अस्ति सुंदरं मनभावनम् पवित्र पावनम्। उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूर्व प्राँगनम्।। विनयशीलं शिक्षा प्रदाता गुरुजना:। मृदुभाषिणि विद्यादात्री गुरुमातर:।। शीलं अनुशासनं उच्च कोटिकम्। सुंदरं चरित्र विकसितं यस्य प्राँगणम्।। अस्ति…
वर्षा रानी-अवनीश कुमार
वर्षा रानी वर्षा रानी आओ ना धरा की प्यास बुझाओ ना तपती धरती तुझे बुलाती इनको तृप्त कर जाओ ना सुखी नदियाँ तुझे बुलाती इनको तू भर जाओ ना जन…
समावेशी शिक्षा-अवनीश कुमार
समावेशी शिक्षा समावेशी शिक्षा की संकल्पना दिव्यांगजन अधिकार कानून है अपना समावेशी शिक्षा की है अवधारणा सरल, सरस, समरस शिक्षा प्राप्त हो अपना समानता, मधुरता का पाठ पढ़ाता नई दृष्टि…
ज़रा संभल-अवनीश कुमार
ज़रा संभल ऐ राही ज़रा संभल बाहर निकलने के लिए न मचल काल रूप धर आया है बनकर कोरोना इसे तुम समझो न बच्चों का खिलौना काल कल्वित आंकड़े निरन्तर…
महावीर-अवनीश कुमार
महावीर निरन्तर प्रभेदक बन जो पर्वतों को काटा करते रहते हैं सागर की धारा को जो मोड़ सके ऐसा बल भर कर चलते रहते हैं लड़ जाते है जो बिजलियों…
आंनद हीं आंनद-अवनीश कुमार
आंनद हीं आंनद गिरेगा नहीं तो चलेगा कैसे ? लड़ेगा नहीं तो जीतेगा कैसे ? भिड़ेगा नहीं तो अड़ेगा कैसे ? डरा नहीं तो डरायेगा कैसे ? हारा नहीं तो…