मैं मिट्टी हूं मगर एक आकार का प्यासा हूँ। कोमल हाथों से एक आकृति प्रदान कर दीजिए।। मैं इस उपकार को ताउम्र तक निहारता रहूंगा।। मैं तो फिजाओं का एक…
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मामा – शेखर कुमार सुमन
मामा देखो मेरे मामा आए, साथ अपने आम लाए | लीची भी वो लाते है, रसगुल्ले खूब खिलाते है | जब मम्मी गुस्साती है, मुझे मारने आती है | पापा…
बचपन के खेल – सुधीर कुमार
बचपन के खेल बचपन के थे खेल निराले , गिल्ली-डंडा लड़ना कुश्ती । पतंग बाजी , छिप्पा छिप्पी , भागा दौड़ी , धींगामुश्ती । लूडो एवं गोली खेलना , भैया…