दोहावली – देव कांत मिश्र

दोहावली हे माता सुरपूजिता, करूँ चरण प्रणिपात। मैं मूरख मतिमंद हूँ, भरो ज्ञान-अवदात।। अमिय ज्ञान देना मुझे, देना स्वर झंकार। हृदय-मग्न गाता रहूँ, लेकर अनुपम प्यार।। वाणी मधुरिम हो सदा,…

ज्ञान दायिनी – अशोक कुमार

ज्ञान दायिनी हे ज्ञान दायिनी, अबोध बालक पुकारे। बसंत पंचमी को आ जा, हमें दर्शन करा जा।। मुझमें विद्या का ज्ञान भरदें, मेरा काया कल्प करदे। अपनी कृपा की ज्योती,…

सरस्वती वन्दना – रीना कुमारी

सरस्वती वन्दना माँ शारदे, माँ शारदे तुम हो भवानी वर दे। माँ शारदे। मैं बालक तू मेरी माता बड़ा गहरा है माँ तेरा मेरा नाता। मुझमें विद्या का ज्ञान भरदे।…

माँ-प्रियंका दुबे

माँ  सीमाओं से परे अभिव्यक्ति से ऊपर एक शब्द नहीँ बल्कि सृजन की एक अनोखी गाथा। स्वयं में समाहित ममता त्याग और संरक्षण का अभूतपूर्व विश्व, सर्वोपरि शुभचिंतक तो हो…

मां-नूतन कुमारी

मां तेरा विस्तार करुँ कैसे ओ माँ, तू शब्दों का मोहताज नहीं, तेरा वर्णन दिव्य अलौकिक है, यह मेरे वश की बात नहीं। ईश्वर भी नतमस्तक होते, तेरी ममता से…

माँँ-संध्या राय

माँ माँ है ममता, माँ है प्यार। माँ है जीवन का आधार। माँ से ही है जीवन, माँ है जीवनदायिनी। आँखों में माँ, बातों में माँ, रुधिरों में माँ बहती…