शिक्षक – रूचिका राय

अनगढ़ माटी का गढ़ आकार देते है, शिक्षक है मुश्किलों से उबार देते है उनसे ही सीखा है जीवन कैसे चलायें, वह हौसलों का हमे औजार देते है। वह पथप्रदर्शक…

बचपन-रूचिका राय

बचपन बचपन का वो मासूम जमाना, माँ पापा का गोद था ठिकाना, नही फिकर नही कोई चिंता, हर गम से दिल था अनजाना। वो बात बेबात रूठना मनाना, शोरकर घर…