कविता-कुमकुम कुमारी

मनहरण घनाक्षरी श्रीकृष्ण 1:- हे कान्हा सुनो पुकार, हम आए तेरे द्वार, विनती करो स्वीकार, भव पार कीजिए। दे दो आशीष अपार, हो प्यारा यह संसार, तुम हो प्राण आधार,हमें…