हृदयवासिनी-गौतम भारती

हृदयवासिनी सजग नयन की नूर लिये सीरत सहज प्रवासिनी। आ पड़ी अधिवास को अक्षुण्ण अधिकार, प्रकाशिनि।। चमक उठी वो सूरत जो वर्षों पड़ी थी मौन। चेहरे की खुशियां देखो दुःख…