दोहा छंद चार सनातन युग शुभद, करते ग्रंथ बखान। कालखंड सबके अलग, करे सभी गुणगान।।०१।। सतयुग का प्रस्थान था, त्रेतायुग तैयार। महिप सभी निरंकुश थे, करते अत्याचार।।०२।। शुक्ल पक्ष बैशाख…
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आतंक एक नासूर – जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
रुप घनाक्षरी छंद में सीमाओं की रक्षा हेतु, कुर्बानी भी देनी होगी, कभी नहीं अधिकार, माँगा जाता हाथ जोड़। बार-बार मरने से- अच्छा होगा खेत आना, डरकर भागता जो, कहलाता…
अफवाहों के दौर में – राम किशोर पाठक
छंद – कुण्डलिया अफवाहों के दौर में, रहिए ज़रा सतर्क। दिल से करके देखिए, मिलता क्या है तर्क।। मिलता क्या है तर्क, कभी पूछो अपनों से। जीवन का उत्सर्ग, रुके…
कुँवर सिंह – राम किशोर पाठक
मनहरण घनाक्षरी मृगराज सी हुँकार, चमकती तलवार, अंग्रेजों को ललकार, किए जो कमाल थे। उम्र अस्सी किए पार, यौवन सी स्फूर्ति धार, रविसुत हो सवार, बने जो विकराल थे। गोली…
जीने का अधिकार – राम किशोर पाठक
छंद – दोहा जीने का अधिकार है, सबको एक समान। जीव-जंतु सबका करें, रक्षा बन बलवान।।१।। रखिए हरपल हीं यहॉं, दीन-हीन का ध्यान। जीने का अधिकार दे, और उन्हें सम्मान।।२।।…
दर्पण- राम किशोर पाठक
छंद – दोहा किरणें आती जो रही, लौटाती उस ओर। सतह परावर्तक सदा, कहलाती वह छोर।। सतह परावर्तन करे, दर्पण उसका नाम। वापस लौटाना सदा, होता जिसका काम।। सतही संरचना…
मर्यादा की रास में – राम किशोर पाठक
दोहा छंद मर्यादा की रास में, पंचवटी में राम। शूर्पणखा आकर वहॉं, देख रही अविराम।।१।। सूरत मोहित कर गया, जगी काम की आग। सुंदर छवि लेकर गयी,…
विश्व विरासत दिवस – राम किशोर पाठक
मनहरण घनाक्षरी सभ्यता का इतिहास, मिले जानकारी खास, करे विश्व एहसास, धरोहर पाइए। अठारह अप्रैल को, संस्कृति संरक्षण को, भूतल उत्खनन को, विचार बनाइए। सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक स्थल रत, ज्ञान…
समरसता हो सदा सभी में – मनु कुमारी
समरसता हो सदा सभी में, शास्त्र यही बतलाता है। शांति और सद्भाव बनाकर,मानव बस यह पाता है।। मीठी बोली कड़वेपन का,भाव सभी हर लेता है। रोती अंखियों में ना जानें,…
विश्वास और अभ्यास का छंद सोरठा
छंदों का अभ्यास, रोज कौन सीखा रहा। पूरा है विश्वास, लगन सिखाती है सही।। मात शारदे आस, जो ठुकरा सकती नहीं। मैं हूॅं उनका दास, अब सीखा सकती वही।। होगी…