मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

विद्यार्थी जो जीवन में करते न मेहनत, सदा पग-पग पर, भोगें खामियाजा हैं। दुनिया में कई लोग कर्ज में हैं डूबे हुए, जीने का तरीका देख, लगे महाराज हैं। संतति…

दोहावली- देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

  मन में सोच-विचार कर, करिए नव संकल्प। जीवन में सद्भावना, कभी नहीं हो अल्प। दान-पुण्य की भावना, हो जीवन का मर्म। कष्ट मिटाकर दीन का, करिए सुंदर कर्म।। भरें…

दोहावली – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’

रखें शिष्य के शीश पर, गुरु आशिष का हाथ। तिमिर सर्वदा दूर हों, पथ आलोकित साथ।। विद्यालय है ज्ञान का, परम सुघर भंडार। छात्र सदा पाते यहाँ, एक नया संसार।।…

छठ- महिमा – रत्ना प्रिया

सुर संस्कृत में छठ-महिमा, सब मुक्त कंठ से गाते हैं। तब सविता के प्रखर प्राण को, आत्मसात् कर पाते हैं।।   शुचि, आहार-विहार नीति का, पालन इसमें होता है, फिर…

दोहावली – रामपाल सिंह ‘अनजान’

प्रात काल वो सूर्य को, करती प्रथम प्रणाम। सूर्य देव आशीष दें, रहे सुहाग ललाम।। प्रातकाल से है लगी, सजा रही है थाल। अमर सुहाग सदा रहे,सुना रही है नाल।।…

शरद पूर्णिमा- रामकिशोर पाठक

  पूनम की रात शीतल चाँदनी फैलाए अंतिम रात्रि आश्विन शरद पूर्णिमा कहलाए घर में माताएँ क्षीर खीर बनाए। पूनम की रात शीतल चाँदनी फैलाए। सुधाकर चंद्र निशाकर बारंबार गुहार…

शरद पूर्णिमा – रूचिका

  शरद पूर्णिमा का सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता चाँद। दूधिया रोशनी बिखेरता प्रेम चाँदनी संग दिलोंजान से करता। घटता बढ़ता चाँद वक़्त परिवर्तन की सुंदर कहानी कहता। शीतलता चाँद…

मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

दिन भर काम करे, कभी न आराम करे, अकेली सुबह शाम, भोजन बनाती हो। हमें विद्यालय भेज, कपड़े बर्तन धोती, काम से फुर्सत नहीं, खाना कब खाती हो? जब नहीं…