लता
मेरे लब पर सदा आपके गीत रहेंगे।
आप है नही बीच में लेकिन बोल सदा रहेंगे।।
इस धरा में न कोई अब आप जैसी दूसरी होगी।
याद लोग सदा करेंगे कह कर की…..
एक थी लता।
आप सरस्वती रूप देवी स्वर कोकिला।
आप जिस भारत में जन्मी वो धन्य है धरा।।
सादगी ऐसी जिसमे प्यार और अपनापन बसा।
मुस्कान लब पर जिसके रहती थी सदा।।
एक ऐसी सुर की देवी जो मिलेंगी न कभी।
दिल में बसने वाली जो याद सदा आएगी…
वो थी एक लता ।
जिनके गीतों से जीवन सजीव हो जाते।
उम्र के साथ उनके गीत में मिठास बढ़ते जाते।।
शोध करने वाले भी है हैरान और अचंभित ….
हा ऐसी थी लता।
इस सृष्टि में आपके गीतों से कितने सितारे बने।
कई पीढ़ी के गीत में आपके मधुर सुर है जुड़े।।
उम्र भर प्यार से कहलाई आप लता दीदी।
भारत माता के लिए गीतों से भर देती देश भक्ति।।
हर देशवासी की जुबां पर आज बस एक ही नाम है।
स्वर कोकिला,भारत रत्न,अनूठी और अनोखी…
एक थी लता।
धीरज कुमार
UMS सिलौटा प्रखंड भभुआ(कैमूर)