माघ मास की पूर्णिमा, दिन था वो रविवार। रविदास था नाम पड़ा, काशी में अवतार।। कलसा गर्भ से जन्में, पिता रग्घु के द्वार। गोवर्धनपुर ग्राम में, देने पथ संसार।। मन…
मन करता मैं भी कुछ गाऊँ- अमरनाथ त्रिवेदी
जीवन खुशियों से जब भरता, मन करता मैं भी कुछ गाऊँ। जब शीतल मंद सुगंध हवा हो, खुशियों के संग मैं गीत सुनाऊँ। तरुनाई जब पुरवाई की हो, मन करता…
दिन-रात- रामकिशोर पाठक
हम बच्चों के मन में आती तरह तरह की है बातें। गुरुवर हमें बता दो इतना क्यों होती हैं दिन रातें। सूरज छुपते कहॉं रात में उजियारा दिन में करते।…
अनुशासन जीवन की पहचान – सुरेश कुमार गौरव
अनुशासन जो जीवन में लाए, हर मुश्किल में जीत वो पाए। जो भी समय का मान करेगा, सपनों को वह साकार करेगा। सुबह-सुबह उठना है प्यारे, नियमों को अपनाना सारे।…
रंग बदलते चेहरे – अवनीश कुमार
मैं तेरे पास कोई मेरे जैसा शख्स ढूंढता हूं, तेरी अकड़ को ठिकाने लगता देखता हूं। तेरी मूंछों को ताव देने पर भी हौसले के साथ गिरते देखता हूं। तुझे…
निर्वाण दृश्य – अवनीश कुमार
अस्सी की अवस्था जब होने को आई बुद्ध ने संघ में निर्वाण की इच्छा जताई सुनते हीं संघ के बौद्ध भिक्षु बिलख- बिलख कर रो पड़े। शाल पेड़ की ओट…
हाथ बढ़ा प्रभु मंगल दीजै – कुमकुम कुमारी ‘काव्याकृति’
है अति बेकल नैन हमारे। दर्शन को प्रभु राम तुम्हारे।। देकर दर्शन काज सँवारें। नाथ हमें भव से अब तारें।। थाल सजाकर मैं प्रभु आई। पूजन पूर्ण करो रघुराई।। हाथ…
अपना सूरज – रामकिशोर पाठक
विशाल आकाशीय पिंड जो, अपना प्रकाश फैलाता है। हम उसको हैं कहते तारे, नभ में सदा टिमटिमाता है। उनमें से है एक सूर्य भी, हमारे निकट जो रहता है। दिखे…
कुछ खबर है आपको- अवनीश कुमार
कुछ खबर है आपको आप बैठे रेस्तरां में जब ले रहे सुस्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद हाथों में डाले पत्नी का हाथ पकड़ा मोबाइल बच्चे के हाथ कर रहे आप दोनो…
ब्रह्मांड की दिव्य कहानी- सुरेश कुमार गौरव
सूरज ज्योति का है आगार उजियारे का सौम्य नगर। किरणें इसकी छू लें धरती, हरियाली भर जाए घर।। नीला नभ फैला है कितना, आँखों से यह मापा ना जाए। तारे…