श्रद्धांजलि
संगीत की साधना की ,या सुर आराधना की
तुम गीतों की एक नदी या फिर स्वयम ही सरस्वती?
क्या थी तुम पता नही,अनोखी,अनूठी अकल्पनीय,,
सुर तुम सजाती, या तुमसे सज उठते कोई भी बता सका नही।
जीवन को संगीत कहा,हर गम को एक गीत कहा
होठों पे मुस्कान भर देती, आंखों को नम भी कर देती।
नाच उठता सुनकर तान
सारी सृश्टि सकल जहां
मंत्रमुग्ध सा कर देती
तुम गीतों की एक नदी,या फिर स्वयम ही सरस्वती।
कैसे संभव है ये हो पाना,इतनी भाषाओं में गाना
और इस कदर तुम्हारा विसर्जन के दिन सो जाना,,,
तुम गीतों की गहरी नदी,तुम स्वयं ही सरस्वती
तुम स्वयम ही सरस्वती💐💐श्रधांजलि।।।।
अमृता सिंह
नव सृजित प्राथमिक विद्यालय डुमरकोला
प्रखंड : चांदन जिला :बांका
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