प्रतीप शब्दों का ज्ञान
आओ बच्चो तुम्हें बतायें
विलोम शब्दों का ज्ञान करायें,
सुबह का उल्टा होता शाम
काम का विलोम है आराम।
अगला का तुम पिछला बोलो
साधु का विलोम बोलो संत,
अर्थ का उल्टा अनर्थ बोलो
हार का जीत व आदि का अंत।
चुस्त का विलोम ढीला होता
खरा का उल्टा होता खोटा,
हंसना का तो रोना होता
पतला का उल्टा होता मोटा।
कायर का प्रतिलोम वीर बोलो
आशीर्वाद का उल्टा अभिशाप,
प्रतीची का प्रतीप प्राची होता
पुण्य का प्रतिकूल होता पाप।
समास का विपरीत व्यास कहो
अग्रज का प्रतिलोम होता अनुज,
खगोल का उल्टा भूगोल होता
मनुज का प्रतिकूल होता दनुज।
मौन का विलोम मुखर होता
दिन का प्रतिकूल होता रात,
शयन का उल्टा जागरण होता
घात का विपरीत होता प्रतिघात।
कृपण का प्रतीप होता उदार
भलाई का विपरीत है बुराई,
विदाई का विलोम स्वागत होता
ढ़ाल का प्रतिकूल है चढ़ाई।
कपूत का विलोम सपूत बोलो
निन्दा का प्रतिलोम स्तुति,
विरह का विपरीत मिलन बोलो
बंधन का प्रतिकूल होता मुक्ति।
@ रचनाकार-
नरेश कुमार “निराला”
सहायक शिक्षक
छातापुर, सुपौल
(बिहार)