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आजादी का जश्न-दीपिका आनंद

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है दिवस वही, है जोश नया
देश फिर आजादी का जश्न मनाएगा
हो बच्चा, बूढ़ा या हो जवान
सब मिलकर “जय हिंद” के नारे लगाएगा

वतन की आजादी की खातिर
वीरों ने बड़ी कीमत चुकाई थी
संघर्ष भरी उस लड़ाई में ना जाने
कितनों ने अपनी जान गंवाई थी

कितनी माँओं ने खोया अपने लाडले को
कितने मांगों ने सिंदूर मिटाया था
बचाने खातिर देश के अस्तित्व को
उन शहीदों ने वीरगति को पाया था

गुलामी के ग्रहण ने देश को
घोर अंधकार में डाला था
कि आजाद फिजा में सांस लेने को
हुआ हर वीर जवान मतवाला था

सन् सत्तावन से सैंतालीस तक निरन्तर
चला वह युद्ध निराला था
उनके संघर्षों से मिटा तमस गुलामी का
फैला हर ओर नवीन उजाला था

आज इस विशेष दिवस पर हमें
केवल इतना ही प्रण लेना है
देश की अस्मिता और गौरव को
अनन्तकाल तक मिटने नहीं देना है

है देश का गौरव अब हमारे हाथों में
कि इसकी आन को अनश्वर बनाना है
बन कर समर्पित और कर्त्तव्यनिष्ठ
वतन को नई ऊँचाईयों पर ले जाना है

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Dipika Anand

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