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कैप्टन मनोज कुमार पांडेय – नीतू रानी

Nitu

आज है 25 जून का दिन
आज का दिन है बड़ा महान,
आज हीं जन्म लिए कैप्टन मनोज पाण्डेय
उनके लिए गाते मंगल गान।

इनका जन्म नेपाली क्षेत्री परिवार में
25 जून 1975 को उत्तर प्रदेश के
सीतापुर जिला रुधा गांँव में हुआ,
इनके पिता गोपीचंद पांडेय
मांँ मोहिनी ने लालन -पालन किया।

इनके पिता पान की दुकान कर
अपना परिवार चलाते थे,
मांँ मोहिनी ममतामई देवी
बच्चों को सत्य राह पर चलना सिखलाती थी।

छोटे से थे ये पढ़ने में अव्वल
शरीर में था सेना वाला बल,
सभी क्लास में लाते थे ये
सबसे अधिक अच्छा नंबर।

मिलता था इनको स्काॅलशिप
क्योंकि सबसे पढ़ने में थे आगे,
नहीं कभी किसी से डरे वो
नहीं किसी के डर से भागे।

दो वर्ष के जब थे मनोज
सबसे प्रिय इनका एक बाँसुरी था,
जब कैप्टन बने मनोज
तब उस बाँसुरी बजाकर कितने आतंकवादी को मार गिराया।

किए मैट्रिक, इंटरमीडिएट
सभी प्रतियोगिता में सफल हुए,
तत्पश्चात खड़क वासला स्थित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में दाखिल हुए।

किए प्रशिक्षण पास 11 गोरखा रायफल्स रेजिमेंट की
पहली वाहिनी अधिकारी बने,
सभी अधिकारियों में ये सबसे
सच्चे निडर अधिकारी चुने गए।

माँ का आशीर्वाद माँ का सपना
मनोज ने पूरा किया,
ऊँचा किया अपने देश का सिर
न कभी वो झुकने दिया।

कारगिल युद्ध और बहुत युद्ध किए
लेकिन कभी नहीं हारे,
सभी पाकिस्तानियों का उसने
अकेला छक्का छुड़ा दिए।

कहा मनोज मैं मौत से नहीं डरता
अगर मेरे सामने मौत आ भी जाएगा,
मैं संकल्प लेता हूँ ,मौत अगर दस्तक देगी तो
मैं मौत को भी मार डालूँगा।

आखिरकार मनोज कुमार को
लंबे समय तक
19,700 फीट ऊँची पहलवान चौकी पर डटे रहने का मौका मिला ,
मनोज से किसी को कभी नहीं हुआ कभी कोई किसी को शिकवा गिला।

एक दिन माँ फोन कर बोली बेटा
इस बार जन्म दिन में घर आ
जाना
बोला मनोज माँ मैं आ रहा हूँ
आप सब जन्म दिन की तैयारी करके रखना।

आया मनोज जन्म दिन पर
लेकिन कफ़न में लिपटा हुए,
3 जुलाई 1999 को ,24 वर्ष सात दिन की उम्र में
कारगिल युद्ध में लड़ते- लड़ते शहीद हुए ।

आज है उनका जन्म दिन
सभी कर रहे हैं उनको शत्- शत् बार नमन,
जब तक सूरज चाँद रहेगा
नाम रहेगा उनका अमर।


नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।

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