सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय – नूतन कुमारी

उन्नति करें हम सब यों ही, सब संभव होगा, है विश्वास, अग्रणी होगा देश प्रतिपल, सबका साथ, सबका विकास। जन-जन का उद्धार हो, मिट जाए सबकी भूख-प्यास, ऐसी खुशहाली हो…

अलख जगाना है – मृत्युंजय कुमार

नन्हें-मुन्हें बच्चों में शिक्षा का अलख जगाना है। राष्ट्र- निर्माता होने का अपना फर्ज निभाना है।। समाज के दबे-पिछड़ों को शिक्षा का महत्व बताना है। कुशल शिक्षक होने का अपना…

आलोचना एवं समालोचना – सुरेश कुमार गौरव

आलोचना सत्य हो, रहे उचित आधार, मन को चोट दे नहीं, बोले मधुर विचार। कटु वाणी की धार से, न टूटे मनहार, शब्द वही संजीवनी, जिससे हो उपकार। कहना सबको…

हस्त प्रक्षालनम्- राम किशोर पाठक

हस्त प्रक्षालनम्, हस्त प्रक्षालनम्! फेनकम्, घर्षणम्, हस्तौ घर्षणम्। हस्तयो: पृष्टाभ्याम् घर्षणम्।। अंगुल ग्रास घर्षणम्। जलेन सर्व प्रक्षालनम्! हस्त प्रक्षालनम्! पूर्वे भोजनाम्, क्रीड़ा उपरांतम्। शौचोपरांतम्। पूर्वे नासा चक्षु स्पर्शणम्। पूर्वे श्रवण…

धरती का मान बढ़ाएंगे – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

धरती का मान बढ़ाएंगे – विधा: गीत(१६-१६) जन्म लिए हैं दिव्य भूमि पर धरती का मान बढ़ाएँगे। रंग-बिरंगे फूल खिलाकर, बागों को खूब सजाएँगे।। धरा हमारी मातृ तुल्य हैं, सच्ची…