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कोरोना काल की व्यथा- नीतू रानी

Nitu

कोरोना काल की व्यथा
साधारण वर्ग की व्यथा
परेशानी और महंगाई पर आधारित स्वरचित गीत।
शीर्षक- कोरोना काल की व्यथा


जहिया सेअ एलअ सुख चैन छीनलेए रे कोरोनमा जहिया से
अब ठहर-ठहर
नै जैहियेअ ककरो घर,
वापस चैल जो रे, चैल जो——-2
जहिया सेअ ———२।

अपन घर छोएर हमर घर एलअ
करलेअ सब कुछ नाश रे
बड़ दुःख देलए बहुत कनेलअ
लेलअ मंटू बापक जान रे
तोहर सिर गिरतौ ठनका बज्जर रे कोरोनमा
छिनलेअ सब सुख चैन—–२।

मेहनत मजदूरी कैर केअ कमाबै रहै
हमर मंटू के बाप रे,
ओही सेअ चलै रहै घर केअ सब खर्चा
ओही सेअ भरै रहै सबके पेट रे
आब केअ कमाएकेअ सबकेअ खुवेतै रे कोरोनमा
छीनलेअ सब‌ सुख चैन—-२।
जहिया सेअ एलअ सुख—-२।

दुखक पहाड़ गिरल ,हमर सिर ऊपर
कोना केअ खेपब दिन राएत ये,
ऊपर सेअ महंगाई बढ़ल छै
कियो नै दै पैंच उधार रे,
दुःख घड़ी कियो नै साथ दैछै रे कोरोनमा
अब ठहर-ठहर——-२।
जहिया सेअ एले———२।

उधर बढल छै बड़ महंगाई
इधर हम बीमार रे
भूखल बच्चा देहर परल छै
धरती सट्टल पेट रे,
कोना कटतै एते बरका जीवन रे कोरोनमा
अब ठहर-ठहर ——२।

जहिया सेअ एलअ सुख चैन छीनलेए रे कोरोनमा।

नीतू रानी( प्र०शि०) म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड –बायसी , जिला -पूणि॔याॅ॑ बिहार।

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