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ख्वाब-श्री विमल कुमार

वो ख्वाब था
एक सपना था
एक हकीकत था
एक यादगार था।
एक तेज आंधी आयी
तूफान की झोंका आयी
जीवन के सपनों को मरोड़ गयी
सपना चकनाचूर हो गयी।
जिन्दगी में कुछ सोचा था
अरमानों का अंबार था
दिवास्वप्न का भंडार था
सारा का सारा कोरा कागज था।
देखते ही ढह गया।
सोचा था कुछ करेंगे
नया कीर्तिमान बनायेंगे
परिंदे की तरह खुलकर उड़ेंगे
सारा- का- सारा धरा रह गया।
जीवन इसी का नाम है
आना-जाना इसका काम है
मृत्यु लोक का चक्र है
यह चलता ही रहता है
आने वाले का सोचना है
बिछुड़ने का सिर्फ गम होता है।
जीवन संघर्ष का नाम है
यह अनवरत चलता रहता है।
जन्म-मृत्यु संसार का नियम है
यह आलिंगन विरह-मिलन का है।
बिछुड़ने का गम न करें।
आने वाला कल हमारा है
कल हमारा है,कल हमारा है।

श्री विमल कुमार”विनोद”
प्रभारी प्रधानाध्यापक
राज्य संपोषित उच्च विद्यालय पंजवारा,
बाँका(बिहार)

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