सुबह में किस दल
रात में जाएं बदल,
नेताओं के रंग देख, गिरगिट भी शर्माए।
चुनाव के समय में
नए-नए वादे सुन,
उनके इरादे देख, मेरा दिल घबराए।
सत्ता में आकर सभी
अपने तिजोरी भरें,
शासन की चकाचौंध, देख दिल ललचाए।
हरेक पांच सालों पे, सरकारें हैं बनती,
देश की समस्या खड़ी, दशकों से मुंह बाए।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
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