चेतावनी
अहंकार लिए तु किसे ढूंढता है मुरख,
धन वासना और सुख सागर के बन्धनों में,
आनन्द तुम्हारे अन्दर ही उबाल मार रहे होंगे
परमानन्द मिलेंगे तुम्हारे ही हर व्यवहारों में,
भगवान कहीं पुकार रहे होंगे तुम्हें
ब्रह्म की आवाज तुम्हें बुलाती है,
भगवान के निरन्तर तुम नाम सुनों,
नहीं तो काया खाली करो की मृत्यु आती है
लेकिन रोज वासना के बवंडर उठते हैं,
काल जब कोपाकुल हो, भृकुटी चढ़ाती है ,
भगवान के निरन्तर तुम नाम जपो,
नहीं तो काया खाली करो की मृत्यु आती है
प्रारब्ध कर्मों की पुण्य अब जाग उठा ,
मानव अहंकार का ताज पहन इठलाता है,
भगवान के निरन्तर तुम नाम जपो
नहीं तो काया खाली करो कि मृत्यु आती है
अवनीश शर्मा
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अवनीश कुमार शर्मा


