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झूम -झूमकर बरसो बादल – अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

झूम- झूम कर बरसो बादल

आओ   बच्चों    खुशी   मनाएँ,
फुहारें  वर्षा की घिर   आई  हैं ।
काले  काले    बादल   नभ   में ,
यह     बहार     बन    छाई   है ।।

नभ   में  बादल   घूम  रहे ,
ये काले काले मतवाले  हैं ।
इनसे   पानी     बरस   रहे  ,
हम नाच  रहे  दिलवाले  हैं ।।

गर्मी से  सब   झुलस गए  थे ,
यह आज खुशी बन  आई है ।
उमड़ घुमड़ कर  बरसे बादल ,
नभ में फिर बहार बन छाई है ।।

हम  बच्चे  नादान  अभी हैं ,
पर बातें हैं  कुछ पता  हमें ।
खूब  बरसो पानी  धरा  पर ,
न पानी बरसना अभी  थमे ।।

जो  मुरझा  चुके थे  गर्मी से पौधे ,
उनमें  लौट   आई हरियाली   है ।
हम      बच्चे     बड़ी   मस्ती   में ,
दिल   में भी छाई  खुशियाली  है।।

अच्छी    वर्षा    होने   पर   ही
धरती हरी भरी  भी  दिखती है ।
हर  जीव   में   रंगत आता  है ,
और प्रकृति भी बेहद खिलती है ।।

बादल    तुझे   बहुत    बरसना ,
अभी  सारी   धरती  प्यासी  है ।
अभी बादल तुम और  गरजना,
हर   डगर  भी  बड़ी  उदासी है ।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला प्रशासन

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