झंडा ऊंचा रहे हमारा,
सबके जुवां पे यही हो नारा।
तीन रंग है अपना तिरंगा,
लहरे ऊपर लिए भुजंगा।
भारत की है शान तिरंगा,
सबका है अभिमान तिरंगा।
सिर उठा सैल्यूट सब मारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
केसरिया है लगती प्यारी,
सबसे ऊपर न्यारी- न्यारी।
यह बलिदान का पाठ पढ़ाता,
त्याग हमें भी यही सिखाता।
दूर भगाता है अंधियारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
बीच हैं इनके स्वेत परिधान,
नीचे धरती ऊपर आसमान।
चक्रधर की एक अलग पहचान,
इससे जग सारा गतिमान।
सौ गलती शिशुपाल को मारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
नीचे हरियाली हरी हमारी,
जन समृद्ध धरा हो प्यारी।
यहां गंगा यमुना, कृष्ण- कावेरी,
बलखाती फूलों से क्यारी।
बरसे यहां अमृत की धारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
झंडा ऊंचा रहे हमारा,
सबके जुवां पे यही हो नारा।
–भोला प्रसाद शर्मा
डगरूआ, पुर्णिया (बिहार)
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