गगन में मेघ छाए,
ठंडी-ठंडी बूंदें लाए,
अंबु से सरिता भरी,हरि को पिलाना है।
चल पड़े आप साथ,
थाम रखें मेरा हाथ,
नदियाँ उफन रही,उस पार जाना है।
कन्हैया की लीला जान,
राधिका की प्रीत मान,
प्रकृति से जुड़ कर अद्वैत को पाना है।
अटूट है प्रेम धागा,
कान्हा तोड़ नहीं जाना,
तन,मन,धन,त्याग,तुझे अपनाना है।
एस.के.पूनम।
0 Likes