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दीदी लता -नीतू रानी

Nitu

दीदी लता

चली गईं साक्षात सरस्वती
जिसका नाम था दीदी लता,
वह बसी हैं हमसब के हृदय में
जो लिखकर चली गईं अपनी गाथा।

लगता नहीं है शायद फिर वो आएँगीं
कहाॅ॑ गयी वो न किसी को कोई पता,
उनकी वाणी थी मीठी- मधुर
मुख देखके मिलती थी शीतलता।

इतना तो पता है थी वो सरस्वती
न था उसको किसी से कोई खता,
जाकर बैठी होगी ईश्वर की गोद में
प्रभु के हाथ होंगे लतादी के माथा।

देश -विदेश में एक भी ऐसी
स्वर की देवी नहीं ली अबतक पैदा,
भारत की वो एक मात्र सरस्वती पुत्री थी
जिसको सब कहते थे स्वर कोकिला।

न थी किसी बंधन में वो बॅ॑धी
न था किसी का उन्हें मोहमाया,
बनना चाहती थीं वो एक नायिका
लेकिन बन गई भारत की कोकिला गायिका।

सुन्दर था तन सुन्दर था मन
बचपन बीता ,बीता जीवन,
हे साक्षात स्वर की देवी लता
आपको शत्- शत् बार नमन। 

नीतू रानी” निवेदिता”पूर्णियाॅ॑ बिहार।

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