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दोहावली – रामकिशोर पाठक

मने हमारे देश में, नित्य नये त्योहार।
मकर रवि का प्रवेश जब,खुशियाँ तभी अपार।।

बाँट रहे खुशियाँ सभी, मिलजुल कर परिवार।
संक्रांति की बेला यह, उत्तर सूर्य पधार।।

फसल भरा खलिहान में, किसान करे विचार।
खुशी मनाएँ हम सभी, लोहड़ का त्योहार।।

आसमान में उड़ रहे, पतंगों की कतार।
काट रहा है डोर जब, करें डोर में धार।।

शनि से मिलते सूर्य हैं, आकर उनके द्वार।
गंगा माँ सागर मिली, सबको कर उद्धार।।

खिचड़ी पोंगल लोहड़ी, नाम अनेक विचार।
पौषी माघी शिशिर यह, देश-विदेश प्रसार।।

स्नान दान प्रयाग में, जीवन देती तार।
महिमा गंगासिंधु की, करता शास्त्र प्रचार।।

दधि चूड़ा तिलकुट चले,आज पूरे बिहार।
खिचड़ी लगती तब भली,जब दधि संग अचार।।

खुशी मनाने जा रहें, पाकर शिशिर किनार।
बुलाना है बसंत को, चलो करें मनुहार।।

सबको है शुभकामना, भरा रहे घर- बार।
मकर संक्रांति है शुभद, बनकर रहें उदार।।

राम किशोर पाठक

प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश

पालीगंज, पटना

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