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दोहा विधान – राम किशोर पाठक

ram किशोर

आओं हम सीखा रहे, दोहा लिखना खास।
सरल तरीका है यही, करना है अभ्यास।।०१।।

जान रहा हूँ मैं यहाँ, ज्ञान हमारा अल्प।
फिर भी हूँ बतला रहा, दोहा का संकल्प।।०२।।

चार चरण में लिख रहे, हम सब दोहा जान।
तेरह मात्रा से लिखें, विषम चरण श्रीमान।।०३।।

ग्यारह मात्रा का चरण, रखिए सम पद मान।
लय का रखना ध्यान है, रचिए नित्य सुजान।।०४।।

विषम चरण के अंत में, हो लघु गुरु का कार्य।
सम चरणों को कीजिए, अब गुरु लघु अनिवार्य।।०५।।

सम चरणों में हम रखें, तुकांत का भी ध्यान।
आधी मात्रा पूर्व का, मात्रा गुरु लो मान।।०६।।

पहले आए अर्ध तो, करिए गिनती‌ छोड़।
इतने से होता नहीं, दोहा का यह जोड़।।०७।।

छंदों में दोहा सदा, लगे कठिन है भ्रात।
करें नित्य अभ्यास को, इसे सिखाते मात।।०८।।

कल संयोजन का नियम, रखना होगा ध्यान।
इसके सूत्र अनेक हैं, जान रहे विद्वान।।०९।।

पाठक दोहा लिख रहा, करने को अभ्यास।
समझ सकें हम मर्म को, मेरा यही प्रयास।।१०।।

राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना

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