छंद -रूप घनाक्षरी
अचानक मौसम ने
बदला है करवट,
आज सारे जीव जंतु गर्मी से गए हैं हार।
पसीने से नर-नारी
हाल से बेहाल हुए,
कर-कर थक गए बरखा के इंतजार।
पेड़- पौधे, पशु- पक्षी
किसके शरण जाएं,
दुनिया में हर ओर मच गया हाहाकार।
कहीं लोग डूब रहे
मूसलाधार वर्षा से,
प्रकृति के आगे सभी बने हुए हैं लाचार।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना
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