पहाड़ों में हरियाली, मेहंदी फूलों में लाली,
कलियों में सुगंध है प्रभु की महानता।
चीनी की मिठास में हैं,भोजन व प्यास में हैं,
जिसने भी स्वाद चखा,वह उन्हें मानता।
तिनका व कण में हैं, जड़ व चेतन में हैं,
मंदिर-मस्जिद में हैं, कहना अज्ञानता।
जीव जगदीश मान, सबको नमन करें,
सच्चे दिल से जो भजे, वही उन्हें जानता।
जैनेंद्र प्रसाद रवि
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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