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बच्चों में संख्या ज्ञान – रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’

बच्चों में संख्या ज्ञान

धरती में जो बीज पड़ा है।
पावस पाकर भीज खड़ा है।।
कर्ता बन उसको सहलाए।
तभी हरापन बाहर आए।।

समझें कोरा मत बालक को।
समझें ज्ञानवान चालक को।।
भविष्य इनकी करें प्रतीक्षा।
मिले इन्हीं को अच्छी शिक्षा।।

पहले संख्या ज्ञान बताऍं।
फिर जिज्ञासा समरस लाऍं।।
बाग-बगीचे खूब घुमाऍं।
एक पेड़ को एक बताऍं।।

दूजे दिन फिर वापस जाऍं।
दो पेड़ों को दो समझाऍं।।
सीख लिए जब दस की गिनती।
मंगलमय करना जी बिनती।।

जब भी चाहे खेले खाए।
बोले कभी कभी तुतलाए।।
बिखरे जो भी चीज उठा ले।
उससे ज्ञानी पाठ पढ़ा ले।।

एक-एक से जोड़ सिखाऍं।
घटा-घटाकर शून्य दिखाऍं।।
लंबी जोड़े समय बचाए।
ऐसी रीति गुना कहाए।।

समय घटाव बचाए जब से।
भाग नाम तो पाए तब से।।
अच्छे राही राह बताते।
चलकर बच्चे खुद ही पाते।।

एक-नवम को बोल इकाई।
शून्य एक पर डाल दहाई।।
शून्य लगाकर सौ को पाओ।
तीन शून्य से हजार लाओ।।

इतनी संख्या मन जो डाले।
फिर जो चाहे मन में पाले।।
मुट्ठी में फिर दुनिया कर ले।
हरियाली मानस में भर ले।।


रामपाल प्रसाद सिंह अनजान


प्रभारी प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय दरवेभदौर
पंडारक पटना बिहार

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