नया दौर है नया तराना
बदल रहा है आज जमाना।।
गुजर गया वो दौर पुराना
बेटी बोझ कहीं जाती थी।
इल्जामों के बोझ तले वह
घर में भी सहमी रहती थी।।
चलीं बेटियां गगन नापने
मौन देखता आज जमाना—
उम्मीदों के पंख लगाकर
एक नया इतिहास रची है।
जहां गई परचम लहराती
अव्वल सबमें खास दिखी है।।
सबके मुख पर एक ही बात
नए दौर है नया फसाना—
कहते हैं ये पांव हमारे
हमें सफर में बढ़ते जाना।
चाहे कैसी भी हो मुश्किल
साथी तनिक नहीं घबराना।।
हिम्मत बल रखना निज उर में
तूफानों से है टकराना।
नया दौर है नया तराना
बदल रहा है आज जमाना।।
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव, जिला-बक्सर बिहार
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