नाच रहा मन मोर है ।
कितनी सुन्दर भोर है ।।
तारे सारे लुप्त है ।
लोग भला क्यों सुप्त हैं ।।
सुनते कब वे शोर है ।
कितनी सुन्दर भोर हैं ।।
चिड़िया गाती गीत है ।
सबके मन में प्रीत है ।।
खुशहाली हर ओर है ।
कितनी सुन्दर भोर है ।।
भौरे भी सब मग्न है ।
करते फूलों से लग्न हैं ।।
होते ये चितचोर हैं ।
कितनी सुन्दर भोर है ।।
सुधीर कुमार , मध्य विद्यालय शीशागाछी
प्रखंड टेढ़ागाछ जिला किशनगंज बिहार
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