ब्रज की होली
रंग गुलाल उड़े फिजा में
अम्बर हो गया लाल,
मन प्रफुल्लित हो जाता है
आता जब होली का त्योहार ।
राधा संग नंदलाल की होली
संग-संग ब्रजवासी की टोली,
रंग गुलाल उड़ाते हैं
प्रेम सुधा बरसाते हैं ।
ब्रज की नर-नारी पर देखो
चढ़ा होली का खुमार है,
बच्चे बूढ़े सब एक रंग में
दिखता सारा गाँव है ।
कान्हा के संग सभी गोपियाँ
मिलकर होली गाती है,
भर-भर कर मारे पिचकारी
खुशियाँ खूब मनाते हैं ।
ब्रज की होली बहुत निराली
होती खूब हँसी ठिठोली,
सभी को कान्हा नाच नचावे
नाचे खुद भी टोली संग ।
कान्हा सबका बहुत है प्यारा
गाँवों के आँखों का तारा,
उसके बिना होली मनाना
ब्रज की होली होगा अधूरा ।
भवानंद सिंह
उ.मा.वि.मधुलता
रानीगंज, अररिया
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