उतरी है नन्ही परी,
हाथ-पाँव मार रही,
आँगन तो किलकारी से गुंजायमान है।
कद़म-कद़म पर,
बजता है रणभेरी,
हटी नहीं कभी पीछे,छेड़ी अभियान है।
वाणी सुन दौड़ जाती,
आती है लेकर पानी,
धरा पर हर कन्या,पिता का सम्मान है।
आँखों ने सपने देखी,
बुलंदियां छूने लगी,
गगन के उस पार दिला रही मान है।
एस.के.पूनम
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