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माता वीणापाणि- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

Kumkum

छोड़कर घर-द्वार,कर सबसे किनार,
पढ़ने आए हम माँ,तप पूर्ण कीजिए।
देकर ज्ञान का दान,माँ करो मेरा कल्याण,
बन जाऊँ विद्यावान, शरण में लीजिए।
जय माँ वरदायिनी, जय ज्ञान प्रकाशिनी,
सफल हो तपस्या माँ, ऐसा वर दीजिए।
कर सकूँ ऐसा काम,जग में हो ऊँचा नाम,
दूँ सदा सत्य का साथ,ऐसा ज्ञान दीजिए।।

जय माँ वरदायिनी, जय माँ ज्ञानदायिनी,
तार कर अज्ञानता, विद्या-बुद्धि दीजिए।
हाथ जोड़ पूजा करूँ,नित्य तेरा ध्यान धरूँ,
माता मेरी विनती को,अब सुन लीजिए।
होकर हंस सवार, कर ले स्फटिक माल,
अपने सौम्य रूप का,दर्शन तो दीजिए।
सुन लो पुकार मेरी,अब न करो माँ देरी,
बच्चों की तपस्या को,माँ सफल कीजिए।।

कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”
शिक्षिका
मध्य विद्यालय बाँक, जमालपुर

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