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मासिक धर्म: नारी वजूद–शुकदेव पाठक

मासिक धर्म: नारी वजूद

मासिक धर्म आन है बान है
नारी का शान व सम्मान है
यह चिन्ह है पूर्ण नारीत्व का
और नारी के अस्तित्व का
यौनावस्था की है निशानी
इसको चार चरण में जानीं
पहला  चरण  जब  गर्भाशय
रक्तयुक्त ताजा झिल्ली बनाता
दूसरा चरण जब अंडोत्सर्ग से
एक अंडा गर्भाशय तक जाता
तीसरा चरण जब गर्भाशय में
स्पर्म मिलता तो निषेचन होता
नहीं तो, गर्भाशय की रक्त युक्त
झिल्ली रक्त रूप में बाहर आता
चौथा चरण महावारी कहलाता
3 से 7 दिन  की  यह अवधि
मासिक रक्तस्राव का होता
हर माह में बार बार दुहराता
इसीलिए मासिक चक्र कहाता
लगभग 40 वर्ष  तक चलता
बालिकाओं इससे मत घबराओ
अपने मन तन को दृढ़ बनाओ
रखो विशेष सफाई का ध्यान
नारी को मिले विशेष सम्मान।
✍️ शुकदेव पाठक
मध्य विद्यालय कर्मा बसंतपुर
कुटुंबा, औरंगाबाद (बिहार)

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